Trending Newsबिहारब्रेकिंग न्यूज़राजनीति

सीटों की कम संख्या बता के राष्ट्रीय लोक मोर्चा के “संवैधानिक अधिकार-परिसीमन सुधार” अभियान को कमजोर करने का षड्यंत्र :

प्रकाशनार्थ/प्रसारणार्थ

सीटों की कम संख्या बता के राष्ट्रीय लोक मोर्चा के “संवैधानिक अधिकार-परिसीमन सुधार” अभियान को कमजोर करने का षड्यंत्र : उपेन्द्र कुशवाहा

रालोमो के तिरहुत, सारण और दरभंगा प्रमंडल के हजारों कार्यकर्ताओं महारैली में हुए शामिल
*मुजफ्फरपुर 08 जून *

राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री उपेंद्र कुशवाहा ने आज मुजफ्फरपुर के क्लब मैदान में पार्टी की ओर से आयोजित “संवैधानिक अधिकार- परिसीमन सुधार महारैली” के माध्यम से इस महा अभियान के लिए फिर से शंखनाथ किया। श्री कुशवाहा ने तिरहुत, सारण और दरभंगा प्रमंडल के विभिन्न इलाकों से आए हुए हजारों समर्थकों के बीच दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर श्री कुशवाहा ने कहा कि कुछ लोग मीडिया के कुछ बंधुओं के सहयोग से विधानसभा में हमारी सीटों की संख्या कम बता बता कर हमारी पार्टी के इस “संवैधानिक अधिकार-परिसीमन सुधार” अभियान को कमजोर करने का षड्यंत्र कर रहे हैं। उन्हें बताना चाहता हूँ कि हमारे साथ आपकी ताकत है इसलिए हम घबराने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि
भारत में 2026 में परिसीमन होना है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 82 देश में हर दस सालों में जनगणना करवाने के बाद परिसीमन आयोग का गठन कर लोकसभा सीटों की संख्या का फिर से निर्धारण करने का अधिकार देता है। वहीं, अनुच्छेद 170 राज्यों में विधानसभा के निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा और संख्या तय करने का अधिकार देता है। अभी तक देश में 1951, 1961, 1971 की जनसंख्या के आधार पर परिसीमन कर लोकसभा की सीटों को निर्धारित किया गया है।
परिसीमन का उद्देश्य राज्यों के लोकसभा और विधानसभा सीटों की संख्या आबादी के अनुसार निर्धारण करना है। देश में परिसीमन 1971 तक आबादी के अनुसार तय होता रहा, किन्तु 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी ने परिसीमन को 25 वर्षों के लिए फ्रीज कर दिया | देश में आपातकाल लागू था और इसी का फायदा उठाकर 42वें संविधान संशोधन के जरिये परिसीमन को फ्रीज किया गया। पुनः यह रोक अगले 25 साल तक के लिए बढ़ा दी गई| यह अवधि साल 2026 में पूरी होने जा रही है| वहीं, वर्ष 2009 में भी परिसीमन तो किया गया, लेकिन लोकसभा की सीटों को स्थिर रखते हुए सिर्फ निर्वाचन क्षेत्रों को आबादी के अनुसार संतुलित करने का काम किया।
श्री कुशवाहा ने कहा कि परिसीमन का उद्देष्य ही था पूरे भारतवर्ष में एक समान आबादी के आधार पर सीटों का निर्धारण करना, लेकिन मौजूदा समय में यह उद्देश्य पूरी तरह से खारिज हो चुका है। इस व्यवस्था की वजह से बिहार सहित उत्तर भारत के लगभग सभी राज्यों को लोकसभा सीटों के मामले में बहुत नुकसान हो रहा है। आज दक्षिण भारत में लगभग 21 लाख आबादी पर एक लोकसभा सीट है वहीं, उत्तर भारत में लगभग 31 लाख की आबादी पर एक लोकसभा सीट है। यह व्यवस्था बिहार सहित तमाम उत्तर भारतीय राज्यों का देश की संसद में हमारे प्रतिनिधित्व को कम करता है या कह सकते हैं कि संविधान की मूल भावना 1 व्यक्ति – 1 वोट – 1 मूल्य के साथ छलावा है। मौजूदा आबादी के आधार पर परिसीमन नहीं होने के कारण हम पिछले 50 वर्षों से अपने इस अधिकार से वंचित हैं। उदाहरण के लिए अभी हर सांसद को सलाना 5 करोड़ रुपए की सांसद निधि मिलती है। दक्षिण भारत में यही फंड 1 संसद सदस्य को 21 लाख आबादी के लिए मिल रहा है, वहीं उत्तर भारत के संसद सदस्य को लगभग 31 लाख लोगों पर वही फंड मिलता है।
उन्होंने कहा कि अगर 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने परिसीमन को 25 सालों के लिए फ्रीज नहीं किया होता तो आज बिहार में लोकसभा की सीटों की संख्या 40 से बढ़कर लगभग 60 सीटें हो जातीं। लेकिन जब कभी भी इस देश में आबादी के आधार पर परिसीमन की बात होती है तब तब दक्षिण के राज्य इसका खुलकर विरोध करते हैं और इसे दक्षिण के राज्यों के साथ भेदभाव वाला कदम बताते हैं। वे जनसंख्या को नियंत्रित करने की बात करते हैं। लेकिन सच्चाई इससे उलट है। गौरतलब है कि बिहार सहित तमाम उत्तर भारतीय राज्यों को आजादी के पहले से राजनीतिक, सामाजिक और सामरिक दुष्चक्रों का सामना करना पड़ा है। उत्तर भारतीय राज्यों को न सिर्फ अंग्रेजों के क्रूर शासन का दमन झेलना पड़ा है, बल्कि भूकंप, गरीबी, अशिक्षा और प्लेग-हैजा जैसी गंभीर बीमारियों का भी सामना करना पड़ा है। इस दौरान दक्षिण के राज्यों में आबादी का ग्रोथ रेट उत्तर भारतीय राज्यों की तुलना में बहुत ज्यादा था।


श्री कुशवाहा ने कहा कि अब हमें “संवैधानिक अधिकार, परिसीमन सुधार” की लड़ाई के लिए तैयार होना होगा। हमारे साथ जो छल किया गया उसका खामियाजा बिहार को भुगतना पड़ रहा है। अगर यह काम कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार नहीं करती तो अब बिहार को कम से कम और 20 सांसदों का लाभ मिलता। अब चूंकि 2026 में परिसीमन किया जाना है और आबादी के आधार पर सीटों का निर्धारण किया जा सकता है। निश्चित ही हमें इस दिशा में ठोस रणनीति बनाने की जरूरत है ताकि हम बिहार के लिए सम्मानजनक हिस्सेदारी हासिल कर सकें। सवाल सिर्फ लोकसभा सीटों का ही नहीं है, बल्कि इससे राज्यों की विधानसभा सीटों में इजाफा करने की प्रकिया प्रभावित हो रही है।
उन्होंने कहा कि इस दिशा में राष्ट्रीय लोक मोर्चा का ध्येय एकदम स्पष्ट है कि वह बिहार समेत उत्तर भारत के राज्यों के साथ इस बार धोखा नहीं होने देंगे। हमारी पार्टी इस लड़ाई को बिहार के घर घर तक ले जाएगी ताकि बिहार समेत उत्तर भारत की जनता अपने राजनैतिक अधिकार को हासिल कर सके। आप सब से अनुरोध है कि आप भी घर घर जाइए और लोगों से कहिए कि परिसीमन नहीं होने से अनुसूचित जाति, जनजाति व 33 फीसदी प्रस्तावित महिला आरक्षण के साथ भी धोखा होगा, क्योंकि यह उनके प्रतिनिधित्व को भी संसद में कम करता है। इसलिए हमारी पार्टी ने इस भेदभाव के खिलाफ संघर्ष करने का निर्णय लिया है। राष्ट्रीय लोक मोर्चा का उद्देश्य बिहार समेत उत्तर भारत के सभी राज्यों के लोगों को जनगणना आधारित परिसीमन की जरूरत के प्रति जागरूक करना है।
श्री कुशवाहा ने कहा कि संवैधानिक अधिकार-परिसीमन सुधार” के संकल्प को हम पूरा करके ही दम लेंगे। राष्ट्रीय लोक मोर्चा बिहार की जनता से अपील करता है कि इस लड़ाई में हमारा साथ दें ताकि बिहार समेत उत्तर भारत के लोगों को उचित राजनैतिक प्रतिनिधित्व मिल सके।

उपरोक्त आशय कि जानकारी देते हुए पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता नितिन भारती ने बताया कि इस अवसर पर पार्टी के सभी राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे। सभा की अध्यक्षता मुजफ्फरपुर जिला अध्यक्ष रामेश्वर सिंह कुशवाहा ने की जबकि मंच संचालन हिमांशु पटेल ने किया। सभा को संबोधित करने वाले अन्य वक्ताओं में प्रमुख थे माधव आनंद, मदन चौधरी, रामेश्वर महतो, आलोक सिंह, प्रशांत पंकज, जीतेंद्र नाथ पटेल रामपुकार सिन्हा इत्यादि। इस मंच पर कार्यक्रम के सफल संचालन में पार्टी के दिलीप कुशवाहा, रामप्रीत भगत, रमेश कुशवाहा,लखींद्र भगत, रमण कुशवाहा, नवीन सिंह कुशवाहा आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

नितिन भारती
प्रदेश प्रवक्ता

1.5/5 - (2 votes)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button