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बक्सर जिले के चौसा निवासी भारत माता के वीर सपूत, अमर शहीद सुनील सिंह यादव जी के अंतिम संस्कार में शामिल होकर मन भारी हो गया

बक्सर जिले के चौसा निवासी भारत माता के वीर सपूत, अमर शहीद सुनील सिंह यादव जी के अंतिम संस्कार में शामिल होकर मन भारी हो गया। तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर कुछ नहीं बोल रहा था, लेकिन उसकी चुप्पी में एक समूचे राष्ट्र के लिए प्रेम, बलिदान और कर्तव्य की सबसे ऊँची परिभाषा गूंज रही थी।

शहीद सुनील जी का बलिदान अनमोल है। उनके त्याग के सामने हम सब नतमस्तक हैं। हमने अपनी ओर से उनके बच्चों के लिए ₹1,00,000 की छोटी-सी सहायता दी है — यह केवल एक प्रतीक है, उनकी शहादत की कोई कीमत नहीं। पर मेरा कर्तव्य है कि मैं यह सुनिश्चित करूं कि शहीद का परिवार कभी भी अभाव का शिकार न हो। मैं नीतीश कुमार जी की सरकार से हाथ जोड़कर अपील करता हूं कि अगर अब भी थोड़ी भी संवेदना बची हो, तो शहीद के परिजनों को तत्काल ₹50 लाख की सहायता राशि दी जाए और उनके बच्चे को पढ़ाई पूर्ण होने के बाद सरकारी नौकरी दी जाए।

यह सिर्फ एक सैनिक की शहादत नहीं, बल्कि पूरे देश की चेतना का प्रश्न है। सुनील सिंह यादव जैसे सपूतों की कुर्बानी हमें याद दिलाती है कि राष्ट्र निर्माण केवल भाषणों से नहीं, उनके जैसे योद्धाओं के बलिदान से होता है। उनकी आत्मा को शांति मिले, और उनका परिवार हर परिस्थिति में सम्मान और सुरक्षा के साथ जी सके — यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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