बेटियाँ माँ-बाप की आज्ञाकारिणी, पत्नी अपने परमेश्वर के अधीन और माँ त्याग की प्रतिमूर्ति और अंत परिणीति हैं

आधी आबादी पूरा हक़ —
बेटियाँ माँ-बाप की आज्ञाकारिणी, पत्नी अपने परमेश्वर के अधीन और माँ त्याग की प्रतिमूर्ति और अंत परिणीति हैं ‘गृहिणी’, अर्थात् कर्तव्यों के बोझ तले दबाकर अधिकार छीनकर चार दीवारों में क़ैद। घर की चारदीवारी से बाहर समाज ने उन्हें दिया असुरक्षा का भाव, हिंसा और दुराचार।
याद कीजिए, हम जिस संस्कृति से आते हैं उसमें माँ दुर्गा से हम शक्ति अर्जित करते हैं, माँ सरस्वती से ज्ञान — अर्थात नारी देवी-स्वरूपा मानी जाती है। मगर हमारा पराभव देखिए — अब हम नारा दे रहे हैं “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” का।
बिहार में तो बेशर्मी की पराकाष्ठा देखिए कि एक बिटिया जो बलात्कार का शिकार हुई, उसे अस्पताल के बाहर तड़पा-तड़पा कर एम्बुलेंस में मार डाला गया। सत्ता-धारियों को लगा कि जिंदा रहेगी तो उतने दिन सरकार की बदनामी होगी। इतना ही नहीं, भाजपा-जेडीयू की सत्ता की सरपरस्ती में माँ की कोख का भी सौदा हो रहा है — एक स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा हुआ।

देश में एक अरसे के बाद महिला सशक्तिकरण की सशक्त आवाज़ मुखरता से सुनाई देने लगी है — और वो है प्रियंका गाँधी, जो बिहार की पावन धरा पर महिलाओं के हक़ की आवाज़ को धार देने आई हैं। आइए, इन नवरात्रों में हम सब उनको इतनी ताक़त प्रदान करें कि वो पुरज़ोर तरीक़े से आधी आबादी को पूरा हक़ दिला सकें।
— अभय दुबे, प्रवक्ता, कांग्रेस



