बालू माफिया :- सफेद रेत का काला कारोबार, खनन विभाग ने दर्ज कराई अजीबो गरीब प्राथमिकी, जान कर दंग रह जाएंगे आप
बालू माफिया :- बागमती नदी के किनारे दिन-रात जेसीबी मशीनों की गर्जना और सैकड़ों बालू लदे ट्रकों की आवाजाही किसी से छुपी नहीं है। बावजूद इसके खान निरीक्षक को कोई भी खनन माफिया का नाम पता नहीं चल पाया।

बालू माफिया :- मुजफ्फरपुर जिले में बागमती नदी के तटवर्ती क्षेत्र में चल रहे अवैध बालू खनन को लेकर एक बार फिर से खनन विभाग और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। औराई प्रखंड के अंतर्गत हो रहे इस अवैध खनन को लेकर खान निरीक्षक अफीफा आलम अंसारी ने औराई थाना में एक प्राथमिकी दर्ज करवाई है। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि प्राथमिकी में अज्ञात खनन माफियाओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, जबकि यह इलाका लंबे समय से माफियाओं के कब्जे में बताया जा रहा है।
खनन माफियाओं की खुलेआम गतिविधि, फिर भी नाम अज्ञात?
बागमती नदी के किनारे दिन-रात जेसीबी मशीनों की गर्जना और सैकड़ों बालू लदे ट्रकों की आवाजाही किसी से छुपी नहीं है। स्थानीय लोगों के अनुसार, प्रतिदिन भारी मात्रा में बालू का खनन किया जा रहा है, बावजूद इसके खान निरीक्षक को कोई भी खनन माफिया का नाम पता नहीं चल पाया, जो प्रशासनिक जांच की गंभीरता पर सवाल खड़े करता है।
प्राथमिकी में दर्ज विवरण के अनुसार, करीब 40,000 CFT सफेद बालू का अवैध खनन किया गया है। हालांकि इतनी बड़ी मात्रा में बालू उठाने के बावजूद अभियुक्तों की पहचान न हो पाना विभागीय लापरवाही को उजागर करता है।
क्या खान निरीक्षक की जांच महज खानापूर्ति थी?
प्रशासनिक कार्रवाई के नाम पर खान निरीक्षक की यह एफआईआर कई सवालों को जन्म देती है। यदि खनन विभाग को यह जानकारी है कि अवैध खनन हो रहा है, तो कार्रवाई करते समय माफियाओं की पहचान न कर पाना एक बड़ी चूक मानी जा रही है। इससे यह संदेह गहराता है कि क्या कार्रवाई सिर्फ औपचारिकता निभाने के लिए की गई?
औराई थाना पुलिस कर रही है जांच
औराई थाना प्रभारी राजा सिंह ने पुष्टि की कि खान निरीक्षक के आवेदन के आधार पर अज्ञात खनन माफियाओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और जल्द ही इसमें आगे की कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, स्थानीय लोग इस मामले को लेकर काफी नाराज हैं और प्रशासन से ठोस कदम की मांग कर रहे हैं।
सरकार की सख्ती और जमीन पर सन्नाटा
बिहार सरकार बार-बार यह दावा करती रही है कि अवैध बालू खनन पर नकेल कसी जा रही है। लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि बागमती जैसे इलाकों में खनन माफिया बेलगाम हो चुके हैं और प्रशासन की मौजूदगी के बावजूद उन्हें पकड़ पाना मुश्किल हो रहा है।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जब सब कुछ खुलेआम हो रहा है, तो फिर कार्रवाई इतनी ढीली क्यों है?